सिंगरौली में दोहरी तस्वीर एक ओर नशा मुक्ति अभियान, दूसरी ओर खुलेआम बिक रही शराब…

सिंगरौली में दोहरी तस्वीर एक ओर नशा मुक्ति अभियान, दूसरी ओर खुलेआम बिक रही शराब…
सिंगरौली जिले में एक ओर मध्यप्रदेश सरकार के दिशा-निर्देश पर सिंगरौली जिले में नशा मुक्ति अभियान जोरों-शोरों से चलाया जा रहा है। जगह-जगह शिविर लगाकर स्कूली बच्चों से लेकर युवाओं और नागरिकों को नशे से दूर रहने की शपथ दिलाई जा रही है। विद्यालयों में कार्यक्रम आयोजित कर नशे के दुष्परिणामों की जानकारी दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर जिले के लंघाडोल थाना क्षेत्र में सरकार और प्रशासन के इस अभियान को खुलेआम ठेंगा दिखाया जा रहा है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, लंघाडोल थाना क्षेत्र के पोड़ीपाठ गांव में किराना दुकानों की आड़ में खुलेआम अवैध शराब और गांजा बेचा जा रहा है। बताया जा रहा है कि गांव के राजेश और अरविंद नामक दुकानदारों द्वारा अंग्रेजी एवं देशी शराब के साथ गांजा भी बेचा जा रहा है। सबसे हैरानी की बात यह है कि ये गतिविधियां पुलिस चौकी से कुछ ही दूरी पर संचालित हो रही हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की आंखों पर मानो पट्टी बंधी हो।
इस गंभीर मामले को लेकर स्थानीय पत्रकारों द्वारा जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एडिशनल एसपी) को अवगत भी कराया गया, लेकिन जवाब में केवल आश्वासन मिला। कार्रवाई के नाम पर अब तक कुछ भी होता नजर नहीं आया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर प्रशासन की नाक के नीचे खुलेआम चल रहे इस अवैध कारोबार पर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है?
ग्रामीणों का कहना है कि एक ओर बच्चों को नशे से दूर रहने की सीख दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर उनके ही गांव में खुलेआम नशे की सामग्री बेची जा रही है। यह दोहरी नीति आखिर कब तक चलेगी?
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
यह दोहरी व्यवस्था कहीं न कहीं प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल खड़े करती है। नशा मुक्ति अभियान केवल औपचारिकता बनकर रह गया है, जबकि ज़मीनी हकीकत यह है कि लंघाडोल और आसपास के ग्रामीण अंचलों में शराब माफिया बेखौफ होकर अपना कारोबार चला रहे हैं। ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और लापरवाह पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी तय की जाए।